भारत के संविधान के भाग-4 “राज्य के नीति निर्देशक तत्व” से संबंधित अनुच्छेद-46 “अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों एवं समाज के अन्य दुर्बल वर्गों की शिक्षा और वित्तीय हितों अभिवृद्धि” की संकल्पना को साकार करने के लिए उक्त वर्णित जातियों व वर्गों को शिक्षा के सर्वसुलभ अवसर प्रदान करने हेतु राज्य सरकार संकल्पित है।
संविधान में वर्णित उक्त भावना को दृष्टिगत रखते हुए प्रदेश के जनपदों में अनुसूचित जाति, जनजाति एवं अन्य दुर्बल वर्गों को उच्च शिक्षा हेतु जागरूक करने एवं उच्च शिक्षा दर में वृद्धि करने के उद्देश्य से, राजकीय अनुसूचित जाति छात्रावासों की स्थापना व संचालन किया जा रहा है। राजकीय अनुसूचित जाति छात्रावासों में नि:शुल्क आवासीय सुविधा प्रदान की जाती है। छात्रावासों में अनुसूचित जाति व जनजाति के अध्ययनरत छात्र/छात्राओं को 70 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया जाता है। बालक व बालिकाओं हेतु पृथक-पृथक छात्रावास संचालित हैं।
(1) छात्रावास के अधीक्षक, छात्रावास के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी होंगे। छात्रावास की मेस, सुरक्षा तथा सफाई की व्यवस्था एवं इसको सुचारू रूप से संचालित किए जाने का दायित्व संस्था के अधीक्षक एवं जिला समाज कल्याण अधिकारी का होगा। छात्रावास की देख-रेख निम्नानुसार गठित प्रबंध समिति द्वारा की जाएगी:
(2) छात्रावासों में प्रवेश हेतु छात्रों का चयन उक्त समिति द्वारा किया जाएगा। समिति समय-समय पर छात्रावासों का निरीक्षण करके यह सुनिश्चित करेगी कि संचालन सुचारु रूप से किया जा रहा है। समिति यह प्रयास करेगी कि तीन माह में कम से कम एक बार निरीक्षण अवश्य किया जाए।